बॉन्ड (Bond) क्या हैं? क्या बॉन्ड में निवेश करना चाहिए?

दोस्तों जब भी हमें निवेश करना होता है तो हमें ज्यादातर लोग शेयर बाजार या फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने की सलाह देते। हम सब अच्छे से जानते है, कि शेयर बाजार में जहां बहुत ज्यादा रिटर्न है तो जोखिम भी उच्च स्तर का होता है। वही बात कि जाए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश की तो यह रिटर्न्स बहुत ही कम होते परंतु जोखिम न के बराबर होता। आज हम इन दोनों के बीच का विकल्प लाए है जिसमे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से ज्यादा रिटर्न होंगे साथ में शेयर बाजार से कम जोखिम होता है। हमारे देश में ज्यादातर लोगों को बॉन्ड्स (Bonds) के बारे में कुछ पता ही नहीं है, तो चलिए शुरू करते है हमारी फाइनेंशियल प्लानिंग की यात्रा को जिसमे हम आज जानेंगे, बॉन्ड्स क्या होते? बॉन्ड्स में निवेश कैसे करे? और बॉन्ड के बारे में संपूर्ण जानकारी।

बॉन्ड (Bond) क्या है?

बॉन्ड एक ऋण उपकरण (Debt Instrument) है, जिसमे कम्पनी आम लोगो से पैसे उधार लेती जिसके बदले में मूल राशि पर अच्छा खासा ब्याज देती हैं। आसान भाषा में समझ जाए जब भी किसी कंपनी, संस्था या सरकार को पैसे की जरूरत होती तब अगर ये सब बैंक से कर्ज लेते है तो वो लोन कहलाता मगर जब ये सब आम जनता से कर्ज लेते है तो उसे बॉन्ड (Bond) कहते हैं। यह कंपनी, संस्था या सरकार बांड धारक की कर्जदार हो जाते हैं। बॉन्ड खरीदते ही व्यक्ति और बॉन्ड जारीकर्ता एक अनुबंध आ जाते है जिसमे बॉन्ड जारीकर्ता मासिक, अर्ध वार्षिक और वार्षिक आधार पर व्यक्ति को मूलधन पर एक निश्चित ब्याज दर से ब्याज देता है।

बॉन्ड (Bond) के प्रकार जो भारत में चर्चित है

हम यह मुख्य बॉन्ड्स के बात करते हैं जो हमारे देश में बहुचर्चित तो है ही साथ ही आपको बॉन्ड के में निवेश करने में आसानी प्रदान करेगा।

सरकारी बॉन्ड (Government Bonds)

सरकारी बॉन्ड (Government Bonds) ऐसा बॉन्ड होते जो सरकारी प्रतिभूतियां, राज्य सरकार या राज्य विकास ऋण (SDL) के द्वारा जारी किए जाते है। जब भी सरकार को देश के विकास या कोई योजना के लिए आम जनता से कर्ज लेना होता है तो वह बॉन्ड जारी करके ही लेती है। सरकारी बॉन्ड को बहुत ही सुरक्षित बॉन्ड माना जाता हैं।

पब्लिक  सेक्टर अंडरटेकिंग बॉन्ड (PSU)

ऐसी कंपनियां जिसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार की हिस्सेदारी हो, उन कंपनियों के बॉन्ड्स को पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग बॉन्ड (PSU bond) कहते है। इन बॉन्ड्स में सरकारी की हिस्सेदारी होने से इन बॉन्ड को भी काफी हद तक सुरक्षित माने जाते है।

कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond)

जब देश की प्राइवेट कंपनी अपना बॉन्ड लेकर आती है तो उन्हें ही कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) कहते है। कॉरपोरेट बॉन्ड (Corporate Bond) के माध्यम से प्राइवेट कंपनी पैसे जुटाने की कोशिश करती ताकि उन पैसे से वो अपनी कंपनी के व्यवसाय को बढ़ा सके। कॉरपोरेट बॉन्ड में जोखिम का स्तर बढ़ जाता है।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (sovereign gold bond)

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (sovereign gold bond) को आरबीआई के माध्यम से केंद्रीय सरकार जारी करती हैं। जब भी सरकार को अपने सोने पर आम जन से कर्ज लेना होता हे तो वह सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड लाती है।

बॉन्ड में जोखिमों का आकलन कैसे करे?

बॉन्ड खरीदने से पहले हमें हमारे निवेश की जोखिम श्रेणी पता होना बहुत जरूरी होता है । अक्सर हम क्रेडिट रेटिंग (Credit rating) के बारे में बहुत सुनते हे परंतु हमें क्या लगता है की ये क्रेडिट रेटिंग कंपनियों के शेयर की होती। मगर ऐसा नहीं है क्रेडिट रेटिंग जो ही वो मूल्यता कंपनी के बॉन्ड्स की जाती है। जब भी हम कोई बॉन्ड में निवेश करे तो वहाँ हमने उस बॉन्ड की क्रेडिट रेटिंग देखना आवश्यक हो जाता हैं। ट्रिपल – A (AAA) रेटिंग सबसे उच्च स्तर की रेटिंग होती हैं। AAA रेटिंग को सबसे सुरक्षित माना जाता है। ये रेटिंग प्राप्त बॉन्ड को सुरक्षित माना जाता हैं, इसलिए हमेशा ट्रिपल AAA रेटिंग धारक बॉन्ड को ही खरीदें जिससे आपका निवेश राशि को सुरक्षा मिल पाए।

 बॉन्ड में निवेश कैसे करे?

बॉन्ड खरीदना बहुत ही आसान हो गया है, आप बॉन्ड को सेबी रजिस्टर्ड ब्रोकर की वेबसाइट से खरीदा व बेचा जा सकता हैं। कॉरपोरेट बॉन्ड्स को स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड के माध्यम से भी खरीदा व बेचा जा सकता हैं। आप चाहें कहीं से भी बॉन्ड खरीदे वो आपके डीमैट अकाउंट में ही स्टोर होंगे। जरूरी नहीं है कि किसी निश्चित ब्रोकर से ही आपका डीमैट अकाउंट खुला हो बस आपको बॉन्ड खरीदने पर अपनी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) आईडी देना होगा और बॉन्ड आपके डीमैट अकाउंट में आ जाते हैं।

बॉन्ड पारिभाषिक शब्दावली (Bond Terminology)

यहां हम बात कर रहे है उन शब्दों की जो आपको बार बार बॉन्ड खरीदने या बेचते समय दिखाई देंगे। उन शब्दों का क्या महत्व है बॉन्ड्स में हम यह जानेंगे।

  1. फेस वैल्यू (Face Value): फेस वैल्यू यानी किस कीमत पर वो बॉन्ड पहली बार इश्यू हुआ था। मतलब जब कंपनी ने बॉन्ड जारी किए तब प्रति बॉन्ड जो कीमत रखी गई वो फेस वैल्यू कहलाती हैं।
  2. कूपन रेट(Coupon Rate): जब आप कोई बॉन्ड खरीदते है तो वह कंपनी निर्धारित ब्याज दर पर आपको आपके पैसे लौटाने की बात करती है। जो बॉन्ड अपने खरीदा है, जिस फेस वैल्यू पर इस फेस वैल्यू के आधार पर जो ब्याज दर मिलती है उसे ही कूपन रेट कहते है।
  3. कूपन डेट(Coupon date) यानी वो तारीख जिस दिन आपको बॉन्ड जारीकर्ता कंपनी आपके मूलधन पर कूपन रेट के अनुसार ब्याज का भुगतान करेगी।
  4. रिडेम्शन ईयर (Redeemation Year) या रेडिमेशन डेट से मतलब वहां दिन होता जिस दिन बॉन्ड जारीकर्ता द्वारा आपके मूलधन को लौटना जाना है। ब्याज की राशि तो आपको हर साल मिलती जाती ही हैं।
  5. यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield to Maturity): आसान भाषा में समझे तो जिस प्रकार फिक्स्ड डिपॉजिट में परिपक्वता राशि होती है उसी तरह जब आप बॉन्ड में निवेश करते है पूरे निर्धारित समय तक तो जो आपको रिटर्न मिलेगा उसे ही यील्ड टू मैच्योरिटी (Yield to Maturity) कहते हैं।

बॉन्ड (Bond) के बारे में पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न: बांड और शेयर में क्या अंतर है?

उत्तर: जब हम शेयर खरीदते है तो कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी होती है वही बॉन्ड खरीदते है तो कंपनी को हम पैसे उधार देते है।

प्रश्न: भारत में बॉन्ड्स में कैसे निवेश करें?

उत्तर: आप बॉन्ड को सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट से खरीद सकते हैं जो आपके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते हैं।

प्रश्न: ग्रीन बॉन्ड क्या होते हैं?

उत्तर: जब कोई कंपनी, संस्था और सरकार बॉन्ड के पैसे को ग्रीन एनर्जी विकास के लिए इस्तेमाल करते है तो वहा बॉन्ड ग्रीन बॉन्ड कहलाते हैं।

प्रश्न: क्या बांड स्टॉक से बेहतर है?

उत्तर: बॉन्ड स्टॉक के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता हैं परंतु बॉन्ड का रिटर्न स्टॉक से कम होता हैं।

Narendra Mewada
Narendra Mewada

Narendra Mewada पेशे से एक Banker होने के साथ साथ Stock और Mutual Fund में एक Passionate निवेशक, साथ ही Finance Niche Content Writer। पिछले कुछ समय से मैं लोगों को Financially Independent बनने के लिए अपने हिंदी और सरल भाषा में ब्लॉग लिखकर प्रेरित कर रहा हूं।

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