हिंडनबर्ग रिसर्च निगमित(Corporate) दुनिया में कंपनियों द्वारा की जाने वाली सभी गलतियों पर नज़र रखता है और फिर इन कंपनियों को शार्ट करने का फैसला करता है। ऐसे में यह जानना बहुत दिलचस्प होगा कि हिंडनबर्ग क्या है, और जानिए हिंडनबर्ग रिसर्च की महत्वपूर्ण बातें
हिंडनबर्ग रिसर्च क्या है?
हिंडनबर्ग रिसर्च ऐसी कंपनी को टारगेट करती है जिसमे वित्तीय गड़बड़ (Financial Mess) चल रही हो। यह एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी है, जो दावा करती है की वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है। इस कंपनी के पास काफी अनुभव है, क्योंकि इसे असामान्य स्रोतों(Unusual sources) से जानकारी मिलती है।
हिंडनबर्ग रिसर्च एक ऐसी कंपनी है जो जिस किसी भी कंपनी की रिपोर्ट तैयार करती है, उस कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट से कंपनी का सारा फाइनेंशियल रिकॉर्ड तैयार करती है। और वेबसाइट से फाइनेंशियल रिसर्च करना बहुत मुश्किल होता है। यदि इसे किसी कंपनी में कोई फाइनेंसियल समस्या दिखाई देती है तो वह कंपनी रिपोर्ट तैयार करती है। यह कंपनी की इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का विश्लेषण(Analyze) करती है।
कंपनी की वेबसाइट पर मौजूद डिटेल्स के अनुसार यह कंपनी से जुड़ी अनियमित, मिसमैनेजमेंट और अघोषित लेन-देन जैसी जानकारी पर नजर रखती है, अगर कोई गलती पकड़ आती है तो यह इस पर एक रिपोर्ट तैयार करती है फिर वो उस कंपनी को गिराने में लगी रहती है यानी वो उस कंपनी को शार्ट करती है।
हिंडनबर्ग रिसर्च कैसे मुनाफा कमाता है?
हिंडनबर्ग रिसर्च कोई एक रिपोर्ट जारी करने से पहले कंपनी की वित्तीय गड़बड़ी की जांच-पड़ताल में कई महीने लगाती है। यह रिपोर्ट हिंडनबर्ग के सीमित कर्मचारियों के साथ साझा करती है, जो हिंडनबर्ग के साथ मिलकर टारगेट कंपनी के शेयर की कीमत को गिराने पर शॉर्ट पोजीशन लेती हैं। यदि शेयर की कीमत गिरती है, तो हिंडनबर्ग रिसर्च को मुनाफा होता है।
हिंडनबर्ग रिसर्च नाम ही क्यों?
इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग रिसर्च रखने का एक अच्छा कारण है। इसका नाम एक विशेष लक्ष्य को ध्यान में रखकर रखा गया था। इस कंपनी की शुरुआत सन 2017 में नाथन एंडरसन(Nathan Anderson) ने की थी।
6 मई, 1937 को अमेरिका से न्यू जर्सी के मैनचेस्टर में हिंडनबर्ग एयरलाइंस का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त (Crashed) हो गया, जिसमें लगभग 100 लोग सवार थे। हाइड्रोजन से भरे एक एयरशिप में करीब 100 लोगों को बैठाया गया था, जो बेहद ज्वलनशील गैस है। इस एयरशिप हादसे में करीब 37 लोगों की मौत हो गई थी।
कंपनी के Co-Founder के मुताबिक इस दुर्घटना को ध्यान में रखकर हिंडनबर्ग रिसर्च नाम दिया गया है क्योंकि किसी भी कंपनी पर फाइनेंशियल समस्या का आरोप लगाया जाता है तो उस कंपनी की मार्किट वैल्यू कम होने और उस कंपनी के स्टॉक्स में भी बहुत ज्यादा गिरावट होने लगती है। इसी कारण को देखते हुए नाथन एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च नाम दिया।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कौन सी सबसे बड़ी कंपनियों को शॉर्ट किया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर मौजूदा जानकारी के मुताबिक(According) हिंडनबर्ग की स्थापना से लेकर अभी तक इसने 16 कंपनी को शार्ट किया है, यानी इन 16 कंपनियों की फाइनेंशियल गड़बड़ियां पकड़ी हैं। आप हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते है
हिंडनबर्ग के लिए अब तक का सबसे मजबूत दांव इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी Nikola Corp के खिलाफ को कहा जा सकता है। हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर Nathan Anderson ने इसे वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक बड़ी जीत बताया है, लेकिन यह नहीं बताया की इस रिसर्च में उन्हें कितना लाभ है, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। हिंडनबर्ग रिसर्च में बताया है कि निकोला कंपनी के निवेशकों को अपने तकनीकी विकास के बारे मे गलत जानकारी दी गई थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर ने एक वीडियो को चैलेंज किया था जिसमें निकोला कंपनी ने इलेक्ट्रिक ट्रक को तेज भागते हुए दिखाया था जबकि वास्तव में यह पहाड़ी के नीचे लुढ़क रहा था।
2021 में, निकोला कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। कंपनी को हर्जाने के रूप में 12.5 करोड़ डॉलर का भुगतान करना पड़ा था.
FAQ – Hindenburg Research in Hindi
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी पर क्या आरोप लगाया?
हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि अडानी ग्रुप शेयरों में हेरफेर करने और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग ने बताया कि यह दो साल की जांच रिपोर्ट के बाद सामने आया है।
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक ऐसी कंपनी है जो वित्तीय अनुसंधान में विशेषज्ञता रखती है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है, और इसे फोरेंसिक वित्तीय मामलों से निपटने का बहुत अनुभव है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कितनी कंपनियों को शॉर्ट किया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर मौजूदा जानकारी के मुताबिक(According) हिंडनबर्ग की स्थापना से लेकर अभी तक इसने 16 कंपनी को शार्ट किया है, यानी इन 16 कंपनियों की फाइनेंशियल गड़बड़ियां पकड़ी हैं।