भारत में सर्विस टैक्स किसी व्यक्ति या किसी कंपनी द्वारा बनाई गई हर वस्तु पर सर्विस टैक्स लगाया जाता है, सर्विस टैक्स को GST (Goods and Services Tax) के रूप में प्राप्त किया जाता है, और हम इस आर्टिकल द्वारा जानेंगे की सर्विस टैक्स क्या है? और सर्विस टैक्स से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
सेवा कर (Service tax) क्या है ?
सेवा कर एक प्रकार का कर है जो मुख्य रूप से भारत में अप्रत्यक्ष कर एकत्र करने के लिए उपयोग किया जाता है। सर्विस टैक्स को GST (Goods and Services Tax) के रूप में प्राप्त करते है। वैसे तो सर्विस टैक्स के नाम से ही स्पष्ट है कि सेवा कर या सर्विस टैक्स का इस्तेमाल किसी व्यक्ति या किसी कंपनी द्वारा प्रदान की गयी सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस टैक्स का भुगतान करना सेवा प्रदाता की जिम्मेदारी है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है, जो सेवा प्रदाता द्वारा व्यापार लेनदेन के दौरान सेवा प्राप्त करने वाले से एकत्र किया जाता है।
उदाहरण से समझिए, यदि आप किसी होटल में जाते हैं, तो आपको विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जा जाती हैं, जैसे रूम सर्विस या कोई अन्य सेवा जिसके लिए आपको भुगतान करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, सर्विस टैक्स जैसी कुछ अन्य छोटी सेवाएं भी आपको प्रदान की जा सकती हैं।
सर्विस टैक्स का उद्देश्य
भारत में सेवा कर का मुख्य उद्देश्य व्यवसायों और व्यक्तियों पर टैक्सेशन के बोझ को कम करना है। यह टैक्स 1994 में वित्त अधिनियम 1994 के पारित होने के बाद लागू हुआ। टैक्स योग्य सेवाओं को वित्त अधिनियम 1994 की धारा 65 के तहत इस टैक्स को टैक्स लिस्ट में शामिल किया गया था। अधिकांश सेवाओं पर सर्विस टैक्स लगाया जाता है। इनमें से कुछ सर्विस टैक्स को नकारात्मक सूची मे जोड़ा गया, जैसे शैक्षिक सेवाएं, एक ट्रस्ट, कुछ कोचिंग कक्षाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम। नकारात्मक सूची टैक्स अधिनियम 1994 की धारा 66 डी में ये नकारात्मक टैक्स शामिल है।
सेवा कर (Service tax) की महत्वपूर्ण जानकारी
वर्ष 1994-95 में पहली बार सरकार ने पूरी तरह से सर्विस टैक्स वसूली शुरू किया। उस समय उसे सर्विस टैक्स से 408 करोड़ मिले थे। वर्तमान में, सर्विस टैक्स केवल केंद्र सरकार द्वारा लगाया और एकत्र किया जाता है। लेकिन भविष्य में भी केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी यह टैक्स लगा सकेगी, क्योंकि 95वां संविधान संशोधन विधेयक संसद द्वारा मई 2003 में पारित किया गया था।
यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची में कोई सेवा कर शामिल नहीं है, लेकिन 1 जुलाई, 1994 से केंद्र सरकार संघ सूची में दिए गए विशेषाधिकार के तहत इस टैक्स को लगाया जा रहा है। जिसमें कहा गया है कि केंद्र के पास किसी भी लिस्ट (संघ राज्य या समवर्ती) में शामिल न होने वाले किसी भी टैक्स को लगाने का अधिकार होगा। ”वर्ष 2015 -16 के बजट में सेवा कर 12% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया था। जिसमे अभी तक कोई बदलाव नहीं किया है।
सेवा कर (Service tax) में छूट
- यदि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान प्रदान की गई सेवाओं का कुल मूल्य 10 लाख रुपये से कम है तो सेवा प्रदाता सर्विस टैक्स से छूट का दावा कर सकते हैं। और यदि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान प्रदान की गई टैक्स योग्य सेवाओं का कुल मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक है, तो सर्विस टैक्स = छूट का लाभ नहीं उठाया जा सकता है।
- छोटे सेवा प्रदाता जिनकी आय प्रति वित्तीय वर्ष 4 लाख रुपए से कम होती है, ऐसे लोगों को सर्विस टैक्स से छूट दी जाती है।
- सेवाओं के निर्यात (Export) पर कोई सर्विस टैक्स नहीं लगाया जाता है।
- सर्विस टैक्स उन सेवाओं पर महि लगाया जाता जो राजनयिक मिशनों (Diplomatic Missions) और उनके अधिकारियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त, यह छूट राजनयिक मिशनों में काम करने वाले अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर भी लागू नहीं होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों या संयुक्त राष्ट्र को प्रदान की जाने वाली कोई भी सर्विस टैक्स योग्य नहीं है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) के कार्यकर्ता या विशेष आर्थिक क्षेत्र की एक इकाई को प्रदान की जाने वाली सर्विस पर टैक्स नहीं लगता है।
सर्विस टैक्स से लाभ
व्यापार और उद्योग के लिए सर्विस टैक्स
आसान अनुपालन (Easy Compliance)-एक मजबूत और व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली (Comprehensive Information Technology System) भारत में मुख्य टैक्स प्रणाली होगी, इसलिए टैक्सपेयर्स के लिए सभी टैक्स सर्विस (जैसे पंजीकरण, वापसी, भुगतान आदि) ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जाएगा।
कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता (Uniformity of tax rates and structures)-जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर की दरें और संरचना पूरे देश में समान हैं, जिससे व्यवसायों के लिए किसी भी स्थान पर अपना व्यवसाय करना आसान हो जाएगा।
करों पर कराधान (Taxation on taxes) की समाप्ति-समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर करों पर कराधान सिस्टम से यह सुनिश्चित होगा कि टैक्स पर कम से कम कराधान हों। इससे व्यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
प्रतिस्पर्धा में सुधार (Improve Competitiveness)- व्यापार करने में लेनदेन का टैक्स कम होने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा में सुधार और बढ़ावा मिलेगा।
केन्द्र और राज्य सरकार के लिए
सरल और आसान प्रशासन (Simple and easy administration)- जीएसटी लागू करके अनेक अप्रत्यक्ष करों को हटाया जा रहा है। इससे सभी के लिए बहुत सरल और आसान हो जाएगा क्योंकि जीएसटी एक मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली (Information Technology System) पर आधारित है।
कदाचार पर बेहतर नियंत्रण (Malpractice better control)– मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के कारण GST से बेहतर टैक्स प्राप्त होंगे।
अधिक राजस्व निपुणता (Higher Revenue Efficiency)- जीएसटी से सरकार के लिए कर राजस्व एकत्र करने की लागत में कमी आने की उम्मीद है, इसलिए इससे उच्च राजस्व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।
उपभोक्ताओं के लिए
वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपाती एवं पारदर्शी कर- जीएसटी के तहत निर्माता से लेकर उपभोक्ता तक एक टैक्स होगा, जिससे यह पता करना आसान हो जाएगा कि आप जो सामान खरीद रहे हैं उस पर कितना टैक्स लगाया गया है।
समग्र कर भार में राहत (Relief in overall tax burden)- निपुणता बढ़ाने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर टैक्स का बोझ कम होगा, जिसका अर्थ है कि इन वस्तुओं की कीमत आपके लिए कम हो जाएगी।
FAQ- Service tax In Hindi
सर्विस टैक्स से क्या तात्पर्य है?
सर्विस टैक्स एक ऐसा कर है जो सरकार द्वारा सेवा प्रदाताओं (जैसे रेस्तरां और होटल) पर ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली कुछ सेवाओं के लिए लगाया जाता है। सेवा कर वास्तव में ग्राहक की जेब से निकलता है, और इसे अप्रत्यक्ष कर के रूप में लगाया जाता है। यह टैक्स 1994 में वित्त अधिनियम के तहत लागू किया गया था।
सर्विस टैक्स कौन देता है?
भारत में सर्विस टैक्स किसी व्यक्ति या किसी कंपनी द्वारा बनाई गई वस्तु पर सर्विस टैक्स लगाया जाता है।
सेवा कर की दर क्या है?
सेवा कर की दर 15% है, जो वर्ष 2015 -16 के बजट में सेवा कर को 12% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया था। जिसमें अभी तक कोई बदलाव नहीं किया है।
भा की द