हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर वित्तीय गड़वड़ी को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे। जिस कारण अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में काफी ज्यादा गिरावट हुई है। अडानी ग्रुप का मार्केट कैपिटलाइजेशन आधे से ज्यादा कम हो गया है।
हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप पर कई सवाल उठाए जा रहे है। अदानी ग्रुप की समस्याएं कम होने क नाम नहीं ले रही है। Credit Sussie group ने जैसे ही अदानी बॉन्ड्स को स्वीकार करने से मना किए वैसे ही बाजार में अदानी शेयर में और गिरावट आ गई । इन सबके चलते अदानी ग्रुप ने अपनी सहायक कंपनी अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का ₹20000 करोड़ रुपए के एफपीओ को कैंसल कर दिया। अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का एफपीओ 1.12 टाइम ओवर सब्सक्राइब होने के बावजूद।
ये सब होने से अदानी ग्रुप में ही नहीं बल्कि पूरे बाजार में अस्थिरता का माहौल देखने को मिला जिसके चलते
RBI (रिजर्ब बैंक ऑफ़ इंडिया) ने सामने आ कर सभी बैंकों को आदेश दिए है कि सभी बैंक जिन्होंने अदानी ग्रुप को लोन दिया है वह बताए की कितनी राशि का ऋण वितरण किया गया है। RBI (रिजर्ब बैंक ऑफ़ इंडिया) ने बैंको से अडानी ग्रुप पर दिए गए लोन के जोखिम का विवरण माँगा है यानी कोनसी सिक्योरिटी को लेकर बैंको ने लोन दिया है उन सिक्योरिटी को RBI को देना होगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(SBI) ने अडानी ग्रुप को 21000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया ऐसी खबर आ रही है। यह राशि भारतीय स्टेट बैंक के नियमों के तहत उधार देने की अनुमति की आधी है। यह नियमों के तहत अनुमत अधिकतम राशि से अधिक है। SBI बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि SBI के एक्सपोजर में इसकी विदेशी यूनिट से 200 मिलियन डॉलर शामिल हैं। SBI के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने गुरुवार को कहा था कि हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप की कंपनियां लोन चुका रही थी, और उन्हें बैंक से प्राप्त लोन पर तत्काल देने का कोई खतरा नहीं था।
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के प्रबंध निदेशक और सीईओ एके गोयल ने कहा कि अदानी ग्रुप को उनकी बैंक के द्वारा कुल ₹7000 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया। जिसमे ₹700 करोड़ रुपए की गैर निधि जोखिम व ₹6300 करोड़ रुपए फंड आधारित हैं। वर्तमान में पुनर्भुगतान को लेकर कोई चिंता का विषय नहीं है।
बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने बताया की उन्होंने अदानी ग्रुप को ₹4000 करोड़ रुपए का ऋण दिया हैं।