दोस्तों आज जब भी आपको कहीं पैसे भेजना होता है या किसी भी प्रकार का पेमेंट करना होता है तो ज्यादातर लोग इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर जैसे यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। वही हम लोग चेक का भी कभी कभी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आजकल आए दिन सुनने में आता है चेक फ्रॉड के बारे में हम किस प्रकार चेक फ्रॉड से खुद को सुरक्षित रख सकते आज हम उस बारे में बात करेंगे। हम किसी थर्ड पार्टी को चेक दे देते हैं कही बार वो लोग डुप्लीकेट चेक बना लेते, चेक राशि में छेड़खानी कर लेते है, और डुप्लीकेट सिग्नेचर जैसे काम करके चेक फ्रॉड किए जाते। इन सब समस्या को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) लाया है । पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) लागू करने के मुख्य उद्देश्य चेक के द्वारा धोखाधड़ी को रोकने और ग्राहक को धनराशि की सुरक्षा प्रदान करना।
जब भी खाताधारक किसी को चेक देता है ₹50000 रुपए से ऊपर तो पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) पर उसको चेक की सारी जानकारी साझा करना होती है जैसे चेक नंबर, चेक की राशि और चेक वाहक का नाम। फिर बैंक के द्वारा ये सब जानकारी क्रॉस चेक की जाती है जिसके उपरांत ही चेक क्लियर होता है, अगर जानकारी का मिलन नहीं होता है तो चेक को कैंसिल कर दिया जाता हैं। पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) उपयोग करने के लिए खाताधारकों को अपने बैंक की नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जा सकता हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सलाह है सभी बैंकों को ₹50000 रूपए से अधिक की चेक क्लियरिंग ग्राहक को पॉजिटिव पे सिस्टम का उपयोग अनिवार्य किया जाए।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बैंक को ने पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) को हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन के लिए अनिवार्य कर दिया है।